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क्या भारत में सेक्युलरिज्म (secularism) खत्म होना चाहिए (Should secularism in India end?) ?

Anonymous in /c/HinduSupremacy

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धार्मिक कट्टरपंथ जो किसी देश के लिए एक संक्रमण की तरह होता है, सेकुलरिज्म को समाप्त कर देता है और इसे खतरे में डाल देता है। धार्मिक कट्टरपंथ न केवल सेक्युलरिज्म को खतरे में डालता है, बल्कि यह लोकतंत्र के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है। यह धार्मिक कट्टरपंथ ऐसा है कि यह अल्पसंख्यकों और अन्य समुदायों के लोगों के अधिकारों का हनन करता है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि भारत में सेक्युलरिज्म (secularism in India) खत्म होना चाहिए या नहीं?<br><br>आज के मुकाबले पहले के जमाने में, सेक्युलरिज्म को लेकर जबरदस्त बुद्धिजीविता थी। आज के समय में सेक्युलरिज्म शब्द को अर्थ देने में हमें अपने खुद के अनुसार लोग परिभाषा दे रहे हैं। लेकिन सेक्युलरिज्म की परिभाषा क्या है ?<br><br>एक लोकतांत्रिक देश में, कुछ इस प्रकार के नियम कानून होते हैं जिसके अंतर्गत धर्म और राज्य के बीच एक दूरी स्थापित की जाती है। धर्म और राज्य के बीच की दूरी को सेक्युलरिज्म (secularism in Hindi) कहते हैं। सेक्युलरिज्म को अंग्रेजी में secularism और लेटिन में saecularis के नाम से जाना जाता है। सेक्युलरिज्म एक ऐसा सिद्धांत है, जिसके आधार पर किसी भी देश की सरकार धर्म से परे होकर काम करती है। सेक्युलरिज्म के कानून के आधार पर भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां लोगों को अपने धर्म के अनुसार अपने जीवन को जीने का अधिकार है।<br><br>धर्मनिरपेक्षता से तात्पर्य एक ऐसी व्यवस्था से है जिसमें राज्य किसी धर्म को प्रोत्साहन अथवा राज्यधर्म के रूप में नहीं अपनाता। राज्य धर्म से पूरी तरह अलग रहकर अपने दायित्वों का पालन करता है। GetType कुछ भी हो सकता है, लेकिन सेकुलरिज्म के नाम को सिर्फ मुस्लिम के साथ जोड़ना सही नहीं है।<br><br>अगर वास्तव में सेक्युलरिज्म को भारत से समाप्त कर दिया जाए तो मुस्लिम धर्म को भारत से मिटा देना चाहिए। लेकिन क्या ऐसा हो पाना संभव है ? क्या भारत सरकार ऐसा कर सकती है ? क्या भारत सेक्युलरिज्म को समाप्त कर दे तो क्या होगा ? सेक्युलरिज्म को समाप्त किए जाने के बाद भारत पर कौन से प्रभाव पड़ेंगे ? ऐसे ही कई सवाल लोगों के मन में उठते होंगे।<br><br><br>सेकुलरिज्म को समाप्त करने का मतलब क्या होता है ?<br><br>सेक्युलरिज़्म की धारणा आधुनिक लोकतंत्र की नींव का एक अभिन्न अंग है। सेक्युलरिज्म के बिना, लोकतंत्र की कल्पना करना असंभव है। यह तभी संभव है जब किसी देश के लोग अपने देश की सेक्युलरिज्म को खत्म करने के लिए वोट करें और देश की सरकार उनकी बात मान ले। अगर भारत की सेकुलरिज्म को समाप्त कर दिया जाए तो भारत एक सेक्युलर देश नहीं रहेगा। सेकुलरिज़्म का अर्थ है एक ऐसी व्यवस्था जहां धर्म और राज्य अलग-अलग इकाइयां हों। जब कोई देश सेक्युलर होता है तो वहां पर किसी को भी धर्म के आधार पर भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता है। लेकिन भारत में लोगों को सेकुलरिज्म के नाम पर भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है।<br><br><br>धर्मनिरपेक्षता या सेक्युलरिज्म क्या है ?<br><br>सेक्युलरिज्म, राज्य के धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक संगठनों के बीच पारस्परिक संबंधों की एक प्रणाली है। धर्म से संबंधित राज्य की नीति को निर्धारित करने वाली सामाजिक संबंधों की प्रणाली को धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है। धर्म और राज्य दोनों ही समाज के मूलभूत संस्थानों में से हैं। उनके संबंधों के बारे में कई सिद्धांत हैं: संप्रभुता के सिद्धांत के अनुसार, राज्य और धर्म दोनों अलग-अलग और स्वतंत्र संस्थान हैं, लेकिन एक ही समय में वे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।<br><br>जो लोग सेक्युलरिज़्म पर विश्वास करते हैं, उनका मानना ​​है कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी धर्म समान अधिकार प्राप्त करें, राज्य को धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। सेक्युलरिज्म का मानना है कि चूंकि भारत में कई धर्म हैं, इसलिए उन्हें एक धर्म को चुनना चाहिए और उसे राष्ट्रीय धर्म के रूप में स्थापित करना चाहिए या अन्यथा एक संप्रभु राज्य के रूप में धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए।<br><br><br>भारत में सेक्युलरिज्म का इतिहास क्या है ?<br><br>धर्मनिरपेक्षता भारत में एक गहन और जटिल विषय है, जिसमें ऐतिहासिक और समकालीन पहलू दोनों शामिल हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जो लोकतंत्र, धार्मिक सहिष्णुता और बहुसंस्कृतिवाद पर गर्व करता है। हालाँकि, भारत के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत पर सवालों के बीच हाल के वर्षों में धार्मिक तनाव और कट्टरता बढ़ गई है। भारत का आधुनिक इतिहास धर्मनिरपेक्षता की लगातार खोज की कहानी है।<br><br>भारत में धर्मनिरपेक्षता की उत्पत्ति प्राचीन सभ्यताओं और विविध धार्मिक परंपराओं में हुई थी। भारत ने अपनी एक लंबी और जटिल यात्रा में राज्य और धर्म के बीच संबंधों को आकार देने के लिए कई पहल की हैं। भारत की स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र की स्थापना ने धार्मिक बहुलता और संविधान द्वारा प्रदत्त धर्म की स्वतंत्रता को कायम रखा है। सेक्युलरिज

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